गोवर्धन बायोलॉजिकल योजना: गोवर्धन बायोलॉजिकल योजना के तहत वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाने से न केवल किसानों को अतिरिक्त आय मिलेगी, बल्कि इस रासायनिक खेती के आयोजन में भी सहायता मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत वर्मी कम्पोस्ट यूनिट 50 प्रतिशत सीमा पर स्थापित करें।
जैविक खाद के फायदे
रासायनिक रसायनों के अत्यधिक उपयोग से बीजाणु की गुणवत्ता और मिट्टी की किरणें शक्ति में कमी आ रही है, और इसके साथ ही पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। राजस्थान सरकार की पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इस योजना के तहत, किसानों को उनके गोवंश के माध्यम से जैविक खाद बनाने के लिए मंजूरी दी जाएगी। इससे न केवल मिट्टी की असाधारण शक्ति में सुधार होगा, बल्कि किसान भी आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। इस योजना के माध्यम से यदि किसानों को प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं, तो निश्चित रूप से रासायनिक खेती का समाधान निकाला जा सकता है और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है।
सीमांत की व्यवस्था
किसानों को वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के लिए सरकार की ओर से 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता मिलती है, जो उनकी लागत का एक हिस्सा कवर करती है। साथ ही किसानों को जैविक खेती और वर्मी कम्पोस्ट का प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिससे उन्हें बेहतर उत्पादन करने में सहायता मिल सके।
किसानों के लिए शर्त
इस योजना का लाभ उठाने के लिए, किसानों को कुछ छूट पूरी करनी होगी। जैसे कि किसानों के पास कम से कम गोवंश होना चाहिए। किसान को अपनी जमीन का मालिक होना चाहिए, पानी और जैविक खेती का मालिक होना चाहिए। इस योजना के अंतर्गत चयन ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर होगा, यानी जो किसान पहले जाएंगे युवा किसानों को योजना का लाभ मिलेगा।
ऑनलाइन आवेदन की सुविधा
किसानों को योजना में शामिल करने के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। किसान राज किसान साथी पोर्टल के माध्यम से या स्वयं असामी ई-मित्र कियोस्क में आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए किसानों को अपना एसएसओ (एसएसओ) आधार या जन आधार का उपयोग करना होगा। इस योजना के माध्यम से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जायेगी। जैविक खाद का उपयोग करने वाले किसानों को एक प्रतिष्ठित कृषि प्रणाली की ओर ले जाया जाएगा।